बकरा ईद कब की है? 2025 जानिए तारीख, महत्व और खास जानकारी

बकरीद, जिसे ईद-उल-अजहा या ईद-उल-जुहा भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म का एक बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार है। साल 2025 में बकरीद भारत में 7 जून 2025 (शनिवार) को मनाई जाएगी। यह तारीख इस्लामिक पंचांग (हिजरी कैलेंडर) के अनुसार तय की जाती है और हर साल ग्रेगोरियन कैलेंडर में अलग-अलग दिन आती है।
Table of Contents
- 1 बकरीद का महत्व क्या है?
- 2 बकरीद का नाम ‘बकरीद’ क्यों पड़ा?
- 3 ईद-उल-अजहा की तारीख कैसे तय होती है?
- 4 बकरीद की तैयारी कैसे होती है?
- 5 बकरीद पर क्या-क्या होता है?
- 6 बकरीद का सामाजिक संदेश
- 7 गरीबों की मदद का अवसर
- 8 बकरीद से जुड़े कुछ खास नियम
- 9 2025 में बकरीद की तारीख की पुष्टि कैसे करें?
- 10 बकरीद और हज का संबंध
- 11 बकरीद को बच्चों के लिए कैसे खास बनाएं?
- 12 निष्कर्ष
बकरीद का महत्व क्या है?
बकरीद बलिदान और समर्पण का प्रतीक है। यह त्योहार पैगंबर हजरत इब्राहीम (अलैहि सलाम) की उस घटना की याद में मनाया जाता है, जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे इस्माईल को कुर्बान करने का इरादा किया। लेकिन जब उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने की कोशिश की, तब अल्लाह ने एक दुम्बा (भेड़) भेजा और कहा कि तुमने अपनी वफादारी साबित कर दी, अब अपने बेटे की जगह इस जानवर की कुर्बानी दो।
इस घटना से हमें यह सिखने को मिलता है कि जब कोई व्यक्ति सच्चे दिल से अल्लाह के आदेश का पालन करता है, तो अल्लाह उस पर अपनी रहमत करता है।
बकरीद का नाम ‘बकरीद’ क्यों पड़ा?
हिंदुस्तान में इस त्योहार को आमतौर पर ‘बकरीद’ कहा जाता है, क्योंकि इस दिन बकरी, भेड़, दुम्बा या ऊंट जैसे जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। हालांकि इसका असली नाम ईद-उल-अजहा है, लेकिन जनमानस में यह ‘बकरीद’ नाम से ही ज्यादा प्रसिद्ध है।
ईद-उल-अजहा की तारीख कैसे तय होती है?
इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा की गति पर आधारित होता है। बकरीद इस्लामिक महीने ‘ज़िल-हज्जा’ की 10वीं तारीख को मनाई जाती है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों में चाँद देखने के बाद अगली तारीख तय होती है। इसीलिए हर देश में बकरीद की तारीख एक दिन आगे-पीछे हो सकती है।
बकरीद की तैयारी कैसे होती है?
बकरीद से पहले ही मुस्लिम समुदाय के लोग बाजारों से कुर्बानी के लिए जानवर खरीदना शुरू कर देते हैं। जानवर को प्यार और देखभाल के साथ कुछ दिन अपने घर में रखा जाता है। बच्चे और परिवार के सदस्य जानवर की सेवा करते हैं। बकरीद के दिन सुबह नमाज अदा की जाती है, फिर जानवर की कुर्बानी दी जाती है।
बकरीद पर क्या-क्या होता है?
- ईद की नमाज – बकरीद की शुरुआत सुबह की विशेष नमाज से होती है। यह नमाज मस्जिदों, ईदगाहों और खुले मैदानों में सामूहिक रूप से अदा की जाती है। नमाज के बाद इमाम साहब तकरीर करते हैं और बकरीद के महत्व को समझाते हैं।
- कुर्बानी देना – नमाज के बाद कुर्बानी की प्रक्रिया होती है। जानवर की कुर्बानी एक धार्मिक प्रक्रिया है, जिसमें साफ-सुथरे तरीके से, इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार जानवर की बलि दी जाती है।
- गोश्त का बंटवारा – कुर्बानी के बाद जानवर का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है – एक हिस्सा गरीबों के लिए, दूसरा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए, और तीसरा खुद के लिए रखा जाता है।
- खुशियों का त्योहार – बकरीद पर सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं, एक-दूसरे से गले मिलते हैं और ‘ईद मुबारक’ कहते हैं। स्वादिष्ट पकवान जैसे की सेवइयाँ, कबाब, बिरयानी, निहारी आदि बनाए जाते हैं।
बकरीद का सामाजिक संदेश
बकरीद का मूल संदेश है – त्याग, बलिदान और इंसानियत की सेवा। यह त्योहार हमें सिखाता है कि इंसान को अपने स्वार्थों का त्याग कर दूसरों की भलाई के लिए काम करना चाहिए। कुर्बानी केवल जानवर की नहीं होती, बल्कि अपने बुरे विचारों, लालच, और अहंकार की कुर्बानी देना भी जरूरी है।
गरीबों की मदद का अवसर
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को मांस और अन्य चीजें बांटी जाती हैं। इससे समाज में बराबरी और भाईचारे का भाव बढ़ता है। यही इस्लाम धर्म का भी मूल संदेश है – इंसानियत की सेवा करना।
बकरीद से जुड़े कुछ खास नियम
- कुर्बानी वही व्यक्ति कर सकता है जो मानसिक और आर्थिक रूप से सक्षम हो।
- जानवर स्वस्थ और उम्रदराज होना चाहिए।
- कुर्बानी के जानवर की देखभाल अच्छे से करना जरूरी है।
- कुर्बानी के दौरान सफाई का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
2025 में बकरीद की तारीख की पुष्टि कैसे करें?
क्योंकि इस्लामी तारीखें चाँद पर निर्भर होती हैं, इसलिए अंतिम तारीख की पुष्टि चाँद दिखने के बाद ही होती है। लेकिन फिलहाल के अनुसार, 7 जून 2025, शनिवार को बकरीद मनाई जाएगी। जैसे-जैसे चाँद देखने की तारीख करीब आएगी, मुस्लिम धार्मिक संस्थाएँ और चाँद कमेटियाँ इसकी आधिकारिक पुष्टि करेंगी।
बकरीद और हज का संबंध
बकरीद का सीधा संबंध इस्लाम के पांचवे स्तंभ ‘हज’ से है। हज हर उस मुसलमान पर फर्ज होता है जो जीवन में एक बार मक्का जाने की क्षमता रखता है। हज के आखिरी दिन ही बकरीद मनाई जाती है। हज यात्रा के दौरान भी हाजी मक्का में कुर्बानी देते हैं।
बकरीद को बच्चों के लिए कैसे खास बनाएं?
बच्चों को बकरीद का सही महत्व समझाना चाहिए। उन्हें बताएं कि यह सिर्फ मांस खाने का त्योहार नहीं है, बल्कि यह त्याग और सेवा का प्रतीक है। बच्चों को जानवरों की सेवा करना, गरीबों को खाना बांटना, नमाज पढ़ना और अपने बुजुर्गों की इज्जत करना सिखाना चाहिए।
निष्कर्ष
बकरीद 2025 में 7 जून को मनाई जाएगी। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि अल्लाह के बताए रास्ते पर चलना ही इंसान की सच्ची सफलता है। बकरीद केवल जानवर की कुर्बानी का नाम नहीं है, बल्कि अपने अहंकार, स्वार्थ और नफरत की कुर्बानी देने का अवसर भी है। इस बकरीद पर हमें जरूरतमंदों की मदद करने, गरीबों को खाना खिलाने और सभी के साथ मिल-जुलकर रहने का संकल्प लेना चाहिए।