Deepseek Research Paper PDF 2025
आजकल की दुनिया में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तेजी से विकसित हो रहा है। इसी क्रम में डीपसीक-आर1 (DeepSeek-R1) एक ऐसा नया शोध है जिसने मशीन लर्निंग और भाषा मॉडलों में नई क्रांति की शुरुआत की है।
यह रिसर्च मॉडल को बेहतर तर्क क्षमता देने के लिए रिइनफोर्समेंट लर्निंग (Reinforcement Learning) तकनीक का उपयोग करता है।
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डीपसीक-आर1 और डीपसीक-आर1-ज़ीरो की शुरुआत
डीपसीक-आर1-ज़ीरो को बिना किसी सुपरवाइज्ड फाइन-ट्यूनिंग के रिइनफोर्समेंट लर्निंग द्वारा प्रशिक्षित किया गया। इस प्रक्रिया में मॉडल ने अपनी सोचने-समझने की क्षमता को स्वाभाविक रूप से विकसित किया। हालांकि, इस प्रारंभिक मॉडल में कुछ कमियां थीं, जैसे कि भाषा का मिक्स होना और पाठ का पढ़ने में कठिन होना। इन्हीं समस्याओं को हल करने के लिए डीपसीक-आर1 विकसित किया गया।

Deepseek-R1 की विशेषताएं
- मल्टी-स्टेज ट्रेनिंग: डीपसीक-आर1 को ठोस डेटा के साथ चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षित किया गया। इसने मॉडल को अधिक उपयोगी और पढ़ने में आसान बनाया।
- रिइनफोर्समेंट लर्निंग पर फोकस: यह मॉडल गणित, कोडिंग और तार्किक समस्याओं जैसे जटिल विषयों पर भी उच्च प्रदर्शन कर सकता है।
- डिस्टिलेशन प्रक्रिया: डीपसीक-आर1 ने छोटे मॉडलों को प्रशिक्षित कर यह दिखाया कि बड़े मॉडलों की क्षमताओं को छोटे मॉडलों में भी समाहित किया जा सकता है।
Deepseek Research Paper PDF
- गणितीय समस्याएं: AIME 2024 जैसे प्रतिस्पर्धाओं में 79.8% सटीकता।
- कोडिंग: LiveCodeBench जैसे प्लेटफॉर्म पर 65.9% पास रेट।
- ज्ञान परीक्षण: MMLU और GPQA डायमंड जैसे मानकों पर डीपसीक-आर1 का प्रदर्शन अद्वितीय रहा।
Deepseek-R1 और Deepseek-R1-Zero की तुलना
Criteria | Deepseek-R1-Zero | Deepseek-R1 |
---|---|---|
AIME 2024 (Pass@1) | 71.0% | 79.8% |
MATH-500 (Pass@1) | 95.9% | 97.3% |
GPQA डायमंड (Pass@1) | 73.3% | 71.5% |
कोडफोर्सेस (प्रतिशत) | 50.0% | 96.3% |
भविष्य की संभावनाएं
डीपसीक-आर1 के शोधकर्ताओं ने कई क्षेत्रों में सुधार की संभावना व्यक्त की है:
- मल्टी-लैंग्वेज सपोर्ट को और बेहतर बनाना।
- लंबे और जटिल सवालों के उत्तर देने की क्षमता को बढ़ाना।
- सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कार्यों के लिए अधिक डेटा जोड़ना।
निष्कर्ष
डीपसीक-आर1 ने यह सिद्ध कर दिया है कि सही तकनीकों और डेटा के साथ, एआई मॉडल न केवल बेहतर तर्क कर सकते हैं बल्कि उन्हें छोटे मॉडलों में भी लागू किया जा सकता है। यह शोध न केवल एआई क्षेत्र में बल्कि शिक्षा, विज्ञान और तकनीकी विकास में भी क्रांति ला सकता है।