प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDKY) देश के 100 जिलों में होगी लागू
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां की अर्थव्यवस्था और आजीविका का बड़ा हिस्सा खेती पर निर्भर करता है। लगभग 45% से अधिक जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी हुई है। इस क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने समय-समय पर कई योजनाएं शुरू की हैं। इन्हीं में से एक है प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDKY), जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी।
यह योजना खेती को आधुनिक बनाने, किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। आइए, इस योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDKY)
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDKY) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य कम उत्पादकता वाले 100 जिलों में कृषि क्षेत्र को सशक्त करना है। यह योजना नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme) से प्रेरित है, जिसे 2018 में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत उन जिलों को चुना गया है, जहां कृषि उत्पादकता कम है, फसल सघनता मध्यम है और ऋण की उपलब्धता औसत से कम है। इसका लक्ष्य लगभग 1.7 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाना है।
यह योजना 2025-26 से शुरू होकर अगले छह वर्षों तक चलेगी, जिसमें प्रति वर्ष 24,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। यह 36 मौजूदा केंद्रीय योजनाओं को 11 मंत्रालयों के साथ मिलाकर लागू की जाएगी, ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके।
योजना के मुख्य उद्देश्य
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के कई महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं, जो किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने पर केंद्रित हैं:
- कृषि उत्पादकता बढ़ाना: योजना का प्राथमिक लक्ष्य कम उत्पादकता वाले जिलों में फसल उत्पादन को बढ़ाना है। इसके लिए आधुनिक तकनीकों, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों और वैज्ञानिक खेती के तरीकों को बढ़ावा दिया जाएगा।
- टिकाऊ और जलवायु-अनुकूल खेती: यह योजना जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए टिकाऊ कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करती है। फसल विविधीकरण और जल-संरक्षण तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया गया है।
- वित्तीय सहायता: छोटे और सीमांत किसानों को अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण उपलब्ध कराने के लिए योजना में विशेष प्रावधान हैं। इससे किसान आधुनिक उपकरण, बीज और उर्वरक खरीद सकेंगे।
- पोस्ट-हार्वेस्ट बुनियादी ढांचा: फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए पंचायत और ब्लॉक स्तर पर भंडारण और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं का विकास किया जाएगा।
- सिंचाई सुविधाओं का विस्तार: योजना के तहत कुशल जल-उपयोग तकनीकों और सिंचाई सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि फसल की पैदावार स्थिर और बेहतर हो सके।
योजना की विशेषताएं
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना कई अनूठी विशेषताओं के साथ शुरू की गई है, जो इसे अन्य योजनाओं से अलग बनाती हैं:
- 100 जिलों पर फोकस: यह योजना उन 100 जिलों पर केंद्रित है, जहां कृषि उत्पादकता कम है। प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से कम से कम एक जिला शामिल किया जाएगा। जिलों का चयन तीन मानदंडों के आधार पर किया गया है: कम उत्पादकता, मध्यम फसल सघनता और कम ऋण उपलब्धता।
- 36 योजनाओं का समन्वय: यह योजना 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करेगी। इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और योजनाओं के कार्यान्वयन में दक्षता बढ़ेगी।
- प्रगतिशील किसानों की भागीदारी: प्रत्येक जिले में जिला धन-धान्य समिति बनाई जाएगी, जिसमें प्रगतिशील किसान भी शामिल होंगे। यह समिति जिला कृषि और संबद्ध गतिविधियों की योजना बनाएगी।
- प्रदर्शन की निगरानी: योजना की प्रगति को 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (KPIs) के आधार पर मासिक डैशबोर्ड के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा। नीति आयोग और केंद्रीय नोडल अधिकारी नियमित समीक्षा करेंगे।
- आधुनिक तकनीकों का उपयोग: ड्रोन, डिजिटल खेती और प्रेसिजन एग्रीकल्चर जैसी तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि उत्पादकता और दक्षता में सुधार हो।
योजना को कैसे लागू किया जाएगा
- जिला स्तर पर योजना: प्रत्येक जिले में एक जिला धन-धान्य समिति बनाई जाएगी, जो स्थानीय जरूरतों के अनुसार कृषि और संबद्ध गतिविधियों की योजना तैयार करेगी। इसमें प्रगतिशील किसानों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
- नीति आयोग की भूमिका: नीति आयोग जिला योजनाओं की समीक्षा और मार्गदर्शन करेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि योजना राष्ट्रीय लक्ष्यों जैसे फसल विविधीकरण, जल संरक्षण और जैविक खेती के अनुरूप हो।
- केंद्रीय नोडल अधिकारी: प्रत्येक जिले के लिए एक केंद्रीय नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो योजना की प्रगति की नियमित समीक्षा करेगा।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: योजना में निजी क्षेत्र और स्थानीय साझेदारों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो और नवाचार को बढ़ावा मिले।
योजना के लाभ
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना से किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कई तरह से लाभ होगा:
- आय में वृद्धि: आधुनिक खेती के तरीकों और बेहतर बुनियादी ढांचे के कारण किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- फसल नुकसान में कमी: पंचायत और ब्लॉक स्तर पर भंडारण सुविधाओं के विकास से फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी आएगी।
- जलवायु-अनुकूल खेती: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलेगा, जिससे लंबे समय तक उत्पादकता बनी रहेगी।
- रोजगार सृजन: योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे ग्रामीण प्रवास की समस्या कम होगी।
- आत्मनिर्भर भारत: यह योजना आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने में मदद करेगी, क्योंकि यह स्थानीय उत्पादन को बढ़ाएगी और आयात पर निर्भरता कम करेगी।
चुनौतियां और समाधान
हर बड़ी योजना की तरह, प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के सामने भी कुछ चुनौतियां हैं:
- फंड आवंटन में देरी: कई बार फंड आवंटन में देरी और प्रक्रियागत अक्षमताओं के कारण योजनाओं का कार्यान्वयन प्रभावित होता है। इसके लिए समयबद्ध फंड वितरण और पारदर्शी प्रक्रिया जरूरी है।
- राज्य स्तर पर कार्यान्वयन: विभिन्न राज्यों में स्थानीय शासन और संसाधनों की कमी के कारण कार्यान्वयन में भिन्नता हो सकती है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय जरूरी है।
- जलवायु परिवर्तन: बढ़ती मौसम की अनिश्चितता और वर्षा में 15-20% की वृद्धि (2050 तक अनुमानित) फसल उत्पादकता को प्रभावित कर सकती है। इसके लिए जलवायु-अनुकूल तकनीकों को और अधिक बढ़ावा देना होगा।
- वित्तीय जागरूकता की कमी: केवल 30% किसान ही औपचारिक ऋण प्रणाली का उपयोग करते हैं। इसके लिए किसानों के बीच वित्तीय साक्षरता को बढ़ाने की जरूरत है।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान, प्रशिक्षण कार्यक्रम और तकनीकी सहायता पर ध्यान देना होगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना भारत के कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाने और उनकी आजीविका को बेहतर बनाने में मदद करेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करेगी। आधुनिक तकनीकों, टिकाऊ खेती और बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ, यह योजना भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
किसानों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए स्थानीय प्रशासन, कृषि विभाग और जिला धन-धान्य समिति से संपर्क करना चाहिए। साथ ही, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि योजना का कार्यान्वयन पारदर्शी और समयबद्ध हो, ताकि इसका लाभ हर जरूरतमंद किसान तक पहुंचे। यह योजना निश्चित रूप से भारत के कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी और हमारे अन्नदाताओं के जीवन को और बेहतर बनाएगी।
