बुद्ध का स्वभाव | Bhagwan Buddha Story in Hindi

bhagwan buddha story in hindi– एक बार की बात है एक ब्राह्मण क्रोध के आवेश में भगवान बुद्ध के पास आया और उन्हें गालियाँ देने लगा। ब्राह्मण ने सोचा था कि गालियाँ सुनकर बुद्ध क्रोधित हो जाएँगे लेकिन बुद्ध शांत ही रहे। उनके चेहरे की प्रसन्नता में कोई फर्क नहीं पड़ा।

बुद्ध ने और भी गालियाँ दी। मगर बुद्ध हँसते ही रहे। अंत में ब्राह्मण थक गया। वह बोला “मैं आपको इतनी गालियाँ दे रहा हूँ फिर भी आप कुछ नहीं बोलते।”

भगवान बुद्ध ने शांत भाव से कहा- “भैया, तुमने मुझे जो गालियाँ दीं, उनमें से मैंने एक ने भी गाली नहीं ली।’ ‘आपने सुनीं तो सही?” ब्राह्मण बोला ।

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भगवान बुद्ध बोले- “मुझे किसी गाली की कोई जरूरत नहीं थी। इसलिए मैं क्यों सुनने लगा।”

“तो मेरी गालियों का क्या हुआ?”

ब्राह्मण ने झुंझलाकर पूछा। भगवान बुद्ध बोले- “वे तुम्हारे पास ही रहीं।”

“यह कैसे हो सकता है? मैंने तो गालियाँ आपको ही दी थीं।”

ब्राह्मण ने कहा।

“सुनो भैया, मान लो तुम्हारी जेब में कुछ सिक्के हैं और तुम उन्हें किसी को देते हो। यदि वह उन्हें न ले, तो सिक्के – किसके पास रहे?” बुद्ध ने ब्राह्मण से पूछा।

“सिक्के मेरे पास ही रहे।” “बिल्कुल ठीक। इन गालियों की हालत भी उन सिक्कों जैसी ही है। तुमने मुझे गालियाँ दीं, पर मैंने नहीं लीं। अतः ये गालियाँ तुम्हारे ही पास रहीं।”

अब ब्राह्मण समझ गया कि गालियाँ सुनने वाला गालियाँ न ले, तो वे गाली देने वाले के पास ही रहती हैं। ब्राह्मण ने बुद्ध को प्रणाम किया और प्रसन्न होकर चल दिया।

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