एक गांव में एक चिंटू नाम का शरारती बच्चा रहता है वह अपने आस पड़ोस वाले लोगों को बहुत परेशान किया करता था।
जब भी कोई उसके घर के आस पास से गुजरता था तो चालाकी से वह या तो उनके कपड़े पकड़कर खींचता था।
उसके घर के पास ही रहने वाले घनश्याम चाचा को आए दिन परेशान करता था एक दिन उसने साबुन के पानी से भरी बाल्टी को फर्श पर गिरा दिया जहां से घनश्याम चाचा प्रतिदिन गुजरते हैं। और साइड में जाकर छुप गया। ताकि घनश्याम चाचा गिरे तो है उन पर हंस सके।
लेकिन घनश्याम चाचा को उसकी चालाकी का पता चल गया उसे सबक सिखाने के लिए कंचन राजा ने एक नकली चिपक ली चिंटू के ऊपर फेकी जहां वह छुपा हुआ था।
चिंटू उसे असली छबीली समझ कर डर के कारण अचानक दौड़ा तो फर्श पर उसी के द्वारा गिराए गए साबुन के पानी से फिसल कर गिर गया और उसे चोट लगी और मैं रोने लगा।
तब घनश्याम चाचा ने कहां की यह छिपकली नकली थी और आज तुम स्वयं के जाल के अंदर फस गए तब चिंटू ने उनसे माफी मांगी और कहा कि मैं आज के बाद कभी इस प्रकार की शरारत नहीं करूंगा ।
तब से चिंटू ने दूसरों को परेशान करने वाली शरारते करना छोड़ दिया और एक अच्छा बच्चा बन गया।
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी ऐसी शरारत नहीं करनी चाहिए जिससे दूसरों को नुकसान हो और हमेशा अच्छी चीजें सीखनी चाहिए क्योंकि एक अच्छे इंसान की सभी कद्र करते हैं।