ऊंट और सियार की कहानी | ut aur Siyar ki Kahani
किसी गाँव में एक व्यापारी रहता था। उसके पास एक ऊँट था जिससे व्यापारी सामान ढोने तथा स्वयं की सवारी का कार्य करता था । व्यापारी ऊँट का पूरा ध्यान नहीं रखता था। वह ऊँट से दिनभर काम लेता था और रात में छोड़ देता था । ऊँट रात के समय इधर-उधर घूमता तथा विचरण करते समय जो मिलता खा लेता था।
एक रात विचरण करते समय उसकी मुलाकात एक सियार से हुई जो बहुत जल्दी घनिष्ठ मित्र बन गया। अब वे साथ-साथ घूमते थे । प्रायः वे दोनों खेतों के घेरों को तोड़कर अंदर घुस जाते थे। गाँव के पास में एक बहुत बड़ी नदी बहती थी जिसके दूसरी ओर भी खेती होती थी। एक दिन रात में जब ऊँट सियार से मिला तो उसने सियार से कहा, ” मित्र ! नदी के उस पार ककड़ी तथा खीरे के बड़े-बड़े खेत हैं। जहाँ हम दोनों पेट भर खा सकते हैं। ” ऊँट की बात सुनकर सियार बोला “यह सब तुम्हें कैसे पता है ?”
तब ऊँट ने कहा- “मैं अपने मालिक के साथ नदी के उस पार जाता रहता हूँ । तब मैंने देखा है बड़े-बड़े खेतों में
ककड़ी, खरबूजे तथा खीरे लगे हुए हैं।” ऊँट की बातों पर सियार को यकीन हो गया। उसने ऊँट से कहा “मैं तो आज तक नदी के उस पार नहीं गया क्योंकि मुझे तैरना नहीं आता।” इस पर ऊँट ने कहा “मित्र फिक्र मत करो। मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बिठा के ले जाऊँगा। फिर हम दोनों उस पार खेतों में खाएँगे और रात में ही वापस लौट आया करेंगे।” सियार ऊँट की बात सुनकर बहुत खुश हुआ और ऊँट के साथ जाने के लिए तैयार हो गया।
अब दोनों हर रात नदी पार कर उस पार जाते और खीरे तथा ककड़ी खाकर रात में ही वापस आ जाते। एक रात दोनों मित्र जब नदी पार कर उस पार पहुँचे तो दोनों ने देखा कि खेतों की निगरानी करने के लिए खेत का मालिक भी सो रहा है।
यह देखकर सियार ने ऊँट से कहा “मित्र! चलो खेत के दूसरी तरफ चलते है।” ऊँट ने भी उसकी सहमति में सर हिलाया और दोनों खेत के दूसरे किनारे पर जाकर ककड़ी व खीरे खाने लगे। कुछ समय के बाद सियार बोला- “मित्र मेरा पेट भर गया है तुम जल्दी-जल्दी पेट भर लो । तब ऊँट ने कहा” मित्र मेरा पेट तुमसे बड़ा है इसलिए समय लगेगा।
दूसरी तरफ खेत का मालिक भी अभी गहरी नींद सो रहा था। ऊँट अपने पेट भरने में लगा था। सियार चारों तरफ घूमकर देख रहा था। कुछ समय बाद सियार फिर बोला “मित्र अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है मुझे हुँआस आ रहा है।” इतना सुनते ही ऊँट
परेशान हो गया और बोला- “नहीं, नहीं मित्र ऐसा मत करना नहीं तो खेत का मालिक जग जाएगा और हम दोनों पकड़े जाएँगे और अभी तो मेरा पेट भी नहीं भरा है।” ऊँट की बात सुनकर सियार बोला- “मुझसे अब नहीं रुका जाता मेरी इच्छा हो रही है कि मैं बोलूँ।” इतना कहकर सियार हुँआ-हुँआ करने लगा।
सियार की आवाज सुनकर खेत का मालिक जग गया। उसने खेत में देखा कि ऊँट और सियार दोनों उसके खेत में खा रहे हैं। सियार खेत के मालिक को आते देख वहाँ से भाग गया लेकिन ऊँट भाग नहीं पाया।
फिर खेत के मालिक ने ऊँट की डंडे से बहुत पिटाई की और छोड़ दिया। बेचारा ऊँट मार खाकर किसी तरह नदी के किनारे पहुँचा। उसे सियार पर बहुत क्रोध आ रहा था। वह यही सोच रहा था कि उसके मित्र ने उसके साथ धोखा किया है। वह उससे बदला लेगा।
थोड़ी देर बाद सियार भी आ गया, क्योंकि वह अकेले नदी नहीं पार कर सकता था। सियार ने जब उदास ऊँट को देखा तो बोला ” मित्र, तुम अपने बड़े शरीर के कारण फँस गए।” ऊँट को बहुत गुस्सा आ रहा था मगर वह कुछ नहीं बोला।
फिर रोज की तरह सियार को पीठ पर बिठा कर नदी पार करने लगा। जब ऊँट नदी के बीच में पहुँचा तो उसने सियार से बोला- “मित्र मुझे पानी में लोटने का मन कर रहा है।” इतना सुनकर सियार घबरा गया बोला- “नहीं मित्र ऐसा करोगे तो मैं डूब जाऊँगा।” फिर ऊँट बोला- “अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।” यह कहकर लोटने लगा। सियार उसके पीठ से पानी में गिर गया और डूब गया। ऊँट नदी पार कर अपने घर मालिक के पास आ गया।