एक दिन एक गांव में मुन्ना नाम का जादूगर जादू दिखाने के लिए आया। उसका जादू देखने के लिए गांव के सभी लोग आए।
जादूगर मुन्ना एक-एक करके अपना जादू दिखाता गया, और साथ ही साथ वह लोगों की बुराइयां भी करता जाता। उन्हें बुरा भला कहता जैसे जादू दिखाने के लिए उसने एक भीड़ से आदमी को बुलाया और उसे कहा कि इस बड़ी सी बोल दो बोतल के अंदर डाल कर दिखाओ और वह व्यक्ति जब ऐसा नहीं कर पाया तो जादूगर मुन्ना ने उसे कहा कि जाओ तुम्हारी आंखें बहुत कमजोर है आंखों का इलाज करवा करा आओ।
एक दिन जादूगर मुन्ना को पता चला कि इस गांव के अंदर सबसे बुद्धिमान व्यक्ति जिसका नाम सूर्यकांत था।
जादूगर ने फिर दूसरे दिन अपना जादू दिखाने के लिए भीड़ इकट्ठा की और उस दिन सूर्यकांत भी उसका जादू देखने के लिए आया।
उस जादूगर ने सूर्यकांत को बुलाया और कहां की सुना है तुम इस गांव में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति को तो क्या तुम मेरे जादू को पकड़ पाओगे।
लेकिन सूर्यकांत उसके जादू को नहीं पकड़ पाता है तो है जादूगर सूर्यकांत को कहता है कि तुम्हारी भी आंखें बहुत कमजोर है जाओ अपनी आंखों का इलाज करवा कराओ और कहते हैं बड़े आए बुद्धिमान बनने।
यह सुनकर यह सुनकर सूर्यकांत को गुस्सा आया तब उसने जादूगर को सबक सिखाने की तरकीब निकाली।
सूर्यकांत ने जादूगर को कहा कि जो मैं बंद आपको से कर सकता हूं वह तुम खुली आंखों से नहीं कर सकते। तब जादूगर हंसता हुआ बोला ऐसी कौन सी चीज है जो तुम बंद आखों से कर सकते हो परंतु मैं खुली आंखों से नहीं कर सकते।
सूर्यकांत न जादूगर को कहा अगर तुमने यह खुली आंखों से कर दिया तो मैं तुम्हारा गुलाम बन कर रहूंगा और यदि तुम नहीं कर पाए तो तुम्हें वचन देना होगा कि तुम कभी जादू नहीं दिखाओगे। जादूगर सूर्यकांत की शर्त को मान लेता है।
अभी सूर्यकांत एक डब्बा लेकर आते हैं उसमें से एक मुट्ठी मिर्ची निकाल कर अपनी बंदा आंखों पर डाल देता है। और फिर मिर्ची को हटाकर के जादूगर को कहता हैं कि अब तुम यह अपनी खुली आंखों से करके दिखाओ जादूगर ऐसा करने के लिए मना कर देता है और जादूगर अपनी हार को स्वीकार करता है
इसके बाद से जादूगर अपना जादू दिखाना बंद कर देता है। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए।