किसान की बेटी और जमींदार की कहानी Farmer Story in Hindi
एक गांव में किसान रहता था। उसके एक बेटी भी थी। वह खेती करके अपने खेतों में अनाज उगाता था और उसे बेच करके जो पैसे मिलता था उन पैसों का वह तीन हिस्सा करता था।
एक हिस्सा जमींदार को ब्याज देने के लिए दूसरा हिस्सा बेटी की शादी के लिए और तीसरा हिस्सा अपने घर खर्च के लिए निकालता था।
हर बार जमींदार फसल की कटाई के बाद उसके घर आता है और ब्याज लेकर जाता। इसी प्रकार से किसान की सकुशल जिंदगी चल रही थी।
लेकिन एक बार बारिश नहीं होने के कारण किसान के खेत में फसल की पैदावार नहीं हुई और उसके पास जमींदार को देने के लिए पैसे भी नहीं थे।
हर बार की तरह जमींदार उसके घर पर पैसे लेने के लिए आया लेकिन किसान के पास पैसे नहीं थे तभी जमींदार की नजर उसकी बेटी पर पड़ी तो उसने किसान को एक सुझाव दिया।
यदि तुम तुम्हारी बेटी की शादी मुझसे कर दो तो मैं तुम्हारा ब्याज हमेशा के लिए माफ कर दूंगा। किसान ने कहा यह तो सरासर गलत है।
जमींदार ने एक तरकीब निकाली उसने कहा मैं एक पानी से भरे मटके के अंदर दो पत्थर डालूंगा जिसमें से एक का रंग काला होगा और दूसरे का रंग सफेद होगा।
अगर लड़की सफेद पत्थर निकालेगी तो में तुमसे ना तो ब्याज लूंगा और ना ही लड़की से शादी करूंगा और काला पत्थर निकलेगा तो लड़की की शादी मुझसे करानी होगी।
उसने जमीन चालाकी से जमीन से दो काले रंग के पत्थर उठा लिए और उसे मटके के अंदर डाल दिया यह करते हुए किसान की बेटी ने देख लिया।
तब लड़की ने दिमाग लगाया और उसने मटके में से एक पत्थर निकाला और अचानक जमीन पर गिर गई और उसके हाथ से पत्थर भी नीचे गिर गया क्योंकि जमीन पर बहुत सारे पत्थर पड़े हुए थे तो पता नहीं चल पाया कि लड़की ने कौन से रंग का पत्थर उठाया।
फिर लड़की ने कहा कि इसका एक तरीका है मटके के अंदर पड़ा एक पत्थर यह बता सकता है कि मैंने कौन से रंग का पत्थर बाहर निकाला। मटके में से दूसरा पत्थर निकाला गया तो वह काले रंग का था तो इससे यह सिद्ध होता है कि लड़की ने सफेद रंग का पता निकाला होगा।
इस प्रकार से किसान को जमींदारों को ब्याज भी नहीं देना पड़ा और उसकी बेटी भी बच गई।
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