सावधान ! ChatGPT का खतरनाक रूप अब पढ़ेगा मनुष्य के दिमाग को जानिए क्या है मामला

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हाल के अध्ययन से पता चलता है कि दिमाग की स्कैन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडलिंग के साथ “सोच” को समझा संभव है, जिससे मन की पढ़ाई की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। ये उन लोगों की मदद कर सकता है जो बोलने की शमता खो चुके हैं, लेकिन ये मन की गोपनीयता के बारे में सवाल उठाता है।

शोधकर्ताओं को चिंता नहीं है कि दूर करने के लिए दिखाया कि उनका डिकोडर सिर्फ उन लोगो पर प्रयोग किया जा सकता है जिन्होने अपनी समय लंबा तक एफएमआरआई स्कैनर के अंदर अपनी ब्रेन एक्टिविटी पर ट्रेन करने के लिए अनुमति दी है।

क्या डिकोडर के द्वारा पहली बार किसी इनवेसिव ब्रेन इम्प्लांट के बिना कंटीन्यूअस लैंग्वेज को रिकंस्ट्रक्ट किया जा सकता है। इसका प्रयोग शब्दों, वाक्यांशों, और अर्थों को मैप करने के लिए किया जाता है, जो भाषा को प्रक्रिया करने के लिए जाने जाते हैं।

ये डेटा एक न्यूरल नेटवर्क लैंग्वेज मॉडल में फीड किया जाता है जो चैटजीपीटी के पूर्ववर्ती जीपीटी-1 का इस्तेमाल करता है।

एक्यूरेसी को टेस्ट करने के लिए प्रतिभागियों को एक नई कहानी सुनायी गई functional magnetic resonance imaging (MRI) मशीन के अंदर। डिकोडर पार्टिसिपेंट्स की हियरिंग की “जिस्ट” को रिकवर करने में सफल रहा, जब अनहोन अपनी कहानी सोची या साइलेंट मूवीज देखी।

शोधकर्ताओं ने जोर दिया कि किया की वो भाषा से भी गहरा कुछ डिकोड कर रहे हैं और इसे भाषा में कन्वर्ट कर रहे हैं।

शोधकर्ता का ऐसा मानना है कि डिकोडर को रीयल-टाइम में ब्रेन स्कैन डिकोड करने में मदद मिल सकती है। अनहोन नियमों की मांग है जिसे मेंटल प्राइवेसी को प्रोटेक्ट किया जा खातिर, क्योंकि ये डिस्कवरी आगे चलकर फ्रीडम को कॉम्प्रोमाइज कर सकती है।

अध्ययन के पहले लेखक जेरी टैंग ने कहा की डिकोडर व्यक्तिगत सर्वनाम जैसे “मैं” या “वह” को समझने में मुश्किल होता है, लेकिन शोधकर्ताओं को सटीकता में और भी सुधार करने की उम्मीद है।

बायोएथिक्स के प्रोफेसर डेविड रोड्रिग्ज-एरियस वेलहेन ने चेतावनी दी है कि तकनीक व्यक्ति के इच्छा के खिलाफ भी इस्तमाल की जा सकती है, जैसे जब वो सोते हैं, इसिलिये नैतिक विचार और नियम की जरूरत है।

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